May 31, 2011
क्या फर्क पड़ता है?
सच्चाई तो यह है की आम आदमी को कुछ फर्क नहीं पड़ रहा है की तेलगी या राजा जेल गये. राजा करोड़ों का मकान (महल) बनवाता है, आम आदमी अभी तक अपने घर की छत से टपकती हुयी बूंदों से अपनी आंसू पोछता है! २०,००० करोड़ रुपयों का "स्वाहा" होता है राष्ट्रमंडल खेल के नाम पर, जब की "हरिदास" अभी तक खून जला रहा है केवल भूमिकर जुटाने में! किधर फर्क पड़ा है यारों? फर्क तो facebook या कोई blog में पड़ा है - सभी लगे हुए हैं आग में रोटी सेंकने! कोई कुछ करता नहीं है - परेश रावल ने कहा था न "नायक" में - "politics एक गटर है बोलकर सब लोग भाग जाते हैं. लेकिन कोई भी इस गटर में उतर के साफ़ करने को तैयार नहीं है!"
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2 comments:
This is my first message. Please don't delete it. Thanks
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Well, looks like somebody took into account of my frustration (and perhaps many others'). Anna saaheb is kicking some b***s!
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